CGMSC Scam : रायपुर । छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग और सीजी एमएससी में 550 करोड़ के घोटाले की जांच के घेरे में राजनेताओं के साथ पांच आईएएस अधिकारी भी आ गए हैं। आला स्तर पर निर्देश पर ही शासन की स्वीकृति के बिना ही करोड़ों के उपकरण व मशीनों की खरीदी की गई। खरीदी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शासन से स्वीकृति ली गई। उच्च स्तर की सांठगांठ से ही ज्यादातर ठेका मोक्षित कार्पोरेशन को दिया गया। अब उन अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी है। शनिवार को ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 18 हजार पत्रों की चार्जशीट पेश की है। इसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि पूर्व नियोजित कूटनीति के तहत सीजी एमएससी के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया गया है।
हवाला के माध्यम से लिया गया पैसा
CGMSC Scam : सीजी एमएससी घोटाला में ईओडब्ल्यू के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोपी बसंत कौशिक, क्षिरोद्र रौतिया, डॉ. अनिल परसाई, कमलकांत पाटनवार, दीपक बांधे और मोक्षित कार्पोरेशन के मालिक शशांक चोपड़ा के खिलाफ ईसीआईआर (2/25) दर्ज कर लिया है। प्रारंभिक जांच में इस मामले में मनी लॉडिंग होने के भी प्रमाण मिले हैं। इसमें आईएएस अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। ईडी इस मामले में जल्द छापेमारी कर सकती है।
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इन बिंदुओं में घोटाले की जांच, तब पेश हुई चार्जशीट
1. उपकरण और रीएजेंट की खरीदी जरूरत के हिसाब से नहीं की गई।शासन ने एक विधिवत राज्य स्तरीय निरीक्षण व प्रशिक्षण तकनीकी समिति का गठन किया गया। डॉ. परसाई ने डीएचएस की अनुमति के बिना एक नई कमेटी बनाई। खुद को समिति में सदस्य रखकर, पूरी प्रक्रिया को अपने नियंत्रण में रखा।
2. रीएजेंट की खरीदी के लिए 2 जून 2023 के मांग पत्र के आधार पर 314.81 करोड़ की खरीदी के आर्डर दिए गए। इसके लिए शासन से प्रशासनिक अनुमति नहीं थी। न बजट स्वीकृत था, न शासन से वित्तीय अनुमति थी। फिर भी 300 करोड़ के रीएजेंट की मांग भेजने से पहले वित्त विभाग से परामर्श नहीं लिया गया।
3. स्वास्थ्य केंद्रों में रेफ्रिजरेटर न होने के बावजूद इंडेंट तैयार किया गया। 15-16 जून 2023 को रीएजेंट क्रय आदेश जारी करने के समय सीजी एमएससी को स्वास्थ्य केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं की जानकारी थी। इससे डीएचएस को अवगत करवाया गया। फिर भी डीएचएस ने क्रय आदेश रद्द नहीं किया।
4. सीजी एमएससी ने मोक्षित कार्पोरेशन से सीबीसी मशीन के लिए अनुबंध किया। इसकी सप्लाई में भंडार क्रय नियम का उल्लंघन किया गया। इस खरीदी में शासन को 33 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
5. ईडीटीए की मांग न होने पर भी अधिकारियों ने मोक्षित मेडिकेयर को लाभ पहुंचाने खरीदी की। निविदा समिति सदस्य की आपत्ति के बावजूद दूब बाजार में 2 आर्डर दिए। इंडीटीए ट्यूब से 8 रु. तक में बिकती है। इसे 2352 से 3024 रु. प्रतिनग खरीदा गया।
EOW ने अपने चालान में दावा किया है की कुछ अधिकारियों ने बेहिसाब ख़रीदी को लेकर अप्पति की थी ।
CGMSC Scam :
CGMSC Scam : CGMSC के तत्कालीन प्रबंध संचालक अभिजीत सिंह ने मोक्षित से जुड़ी शारदा इंडस्ट्रीज के दस्तावेजों पर संदेह जताया था। उन्होंने उस समय तत्कालीन जीएम और अब घोटाले में जेल भेजे गए कमलकांत व क्षिरौद्र रौतिया को शारदा कंपनी को आपत्र घोषित करने का निर्देश दिया था। अफसरों ने ऐसा नहीं किया। कमलकांत अचानक निजी अस्पताल में भर्ती हो गए। इस दौरान अभिजीत को हटाने के लिए दबाव बनाया गया। अभिजीत का ट्रांसफर हो गया, तब शारदा कंपनी की टेंडर में शामिल किया गया। इसी तरह डॉ. अरविंद नेरल ने रीएजेंट की खरीदी व उसकी कीमत को लेकर आपत्ति की थी। उस समय भी कमलकांत ने उन्हें गुमराह कर दस्तावेजों में हस्ताक्षर करवा लिए। डॉ. पीके पात्रा ने एनालाइजर मशीन व रीएजेंट के टेंडर के दौरान प्रोपाइटर आर्टिकल होने पर आपत्ति की। उनकी आपत्ति को भी नजर अंदाज कर दिया गया। हमर लैब योजना के तहत उपकरण खरीदी के संबंध में समिति के सदस्य डॉ. संतोष भंडारी, डॉ. माधुरी वानखेड़े, डॉ. श्रद्धा साहू, डॉ. जस्मी चंद्राकर, प्रकाश साहू को
सूची ही नहीं दी गई कि क्या खरीदी की जा रही है।
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