राजस्व विभाग में फूटा बड़ा मामला, तहसीलदार और पटवारी ने मिलकर भू-माफियाओं के नाम कर दी पंडरी की 50 करोड़ रुपए की जमीन। जांच में पकड़े गए

–  तहसीलदार मनीष देव साहू और पटवारी विरेंद्र कुमार झा ने कूटरचना कर किया बड़ा फर्जीवाड़ा
– जांच के बाद दोनों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
– फर्जीवाड़ा कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जमीन को भू-माफिया हरमीत सिंह खनूजा और उसके साथियों के नाम किया
– भारतमाला परियोजना के मुआवजा घोटाले में जेल में बंद है हरमीत सिंह खनूजा
– पंडरी तराई में बेशकीमती जमीन के दस्तावेजों में किया गया फर्जीवाड़ा

 

रायपुर। राजधानी में भारतमाला प्रोजेक्ट में राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा भू-माफिया हरमीत सिंह खनूजा और अन्य लोगों के साथ मिलकर किए गए सैकड़ों करोड़ रुपए के भष्ट्राचार की जांच अभी शुरु ही हो पाई है। ऐसे में रायपुर में तहसीलदार रहे मनीष देव साहू और पटवारी विरेंद्र कुमार झा द्वारा सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर लगभग 50 करोड़ रुपए कीमत की साढे चार एकड़ जमीन भू-माफिया रविंद्र अग्रवाल, जितेंद्र अग्रवाल और हरमीत सिंह खनूजा और उसके साथियों के नाम करने का मामला सामने आया है।

मामला पंडरी तराई स्थित साढ़े 4 एकड़ जमीन का है जिसे 1961 में स्वतंत्रा संग्राम सेनानियों द्वारा अपने अंशदान से स्वदेशी खादी बुनकरों मजदूरों के लिए खरीदा गया था। यह जमीन ग्राम सेवा समिति के नाम पर है। लेकिन इस जमीन के दस्तावेजों में छेड़छाड कर
तत्कालीन तहसीलदार मनीष देव साहू, पटवारी विरेंद्र झा ने सरकारी दस्तावेजों में कूटरचना और झूठी जानकारी रच कर जमीन रविंद्र अग्रवाल, जितेंद्र अग्रवाल के नाम पर कर दर्ज कर दी। बाद में यह जमीन कुख्यात भू माफिया हरमीत सिंह खनूजा की फर्म दशमेश रियलवेंचर के नाम कर दी गई। जिसमें हरमीत सिंह खनूजा गुरजीत भाटिया, दीपक चंद्राकर, निर्मल भाटिया, रविंद्र अग्रवाल पार्टनर हैं। पक्षकारों में राकेश यादव और अजय जोशी का भी नाम दर्ज है।

जांच समिति ने जो रिपोर्ट संभाग आयुक्त को 37 पन्नों की जो रिपोर्ट सौंप है उसमें बार-बार तत्कालीन तहसीलदार मनीष देव साहू और पटवारी वीरेंद्र कुमार झा द्वारा अवैध रुपए से दस्तावेजों से छेड़छाड़ और कूटरचना का जिक्र है।

आगे जाकर यह जमीन जेल में बंद भू-माफिया हरमीत खनूजा और उसके साथियों के नाम कर दी जाती है जिससे साफ है की भारतमाला परियोजना में मुआवजा घोटला जैसे इस षड़यंत्र के पीछे भी हरमीत सिंह खनूजा का हाथ है।

करोड़ों रुपए कीमत की है जमीन
ग्राम सेवा समिति की जमीन भूमि पंडरी तराई जैसे इलाके में मौजूद है। वर्तमान में जमीन की कीमत करोड़ों रुपए में है। एक साथ होने के कारण जमीन पर हरमीत सिंह इसमें प्लाट काट कर और कांपलेक्स बनाने का प्लानिंग कर रहा था। इसमें मनीष देव साहू और पटवारी विरेंद्र झा को काफी बड़ी रकम मिलने का आरोप है। इसके अलावा कुछ और पटवारियों की भी संलिप्तता है। जो शहर के दूसरे इलाको में दशक भर से पदस्थ हैं।

शिकायत-
16 अगस्त 2024 को ग्राम सेवा समिति से संभाग आयुक्त कार्याल में शिकायत की गई। उक्त शिकायत इस प्रकार है।
तहसीलदार रायपुर मनीष देव साहू व राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ के लिए चर्चित,पटवारी विरेन्द्र कुमार झा, ग्राम पंडरी तराई द्वारा अपने शासकीय पद एवं नाम का दुरूपयोग करते हुए राजस्व अभिलेखों में अवांछित एवं गैर कानूनी छेड़छाड़ कर सदोष लाभ का लिया लिया गया। मनीष साहू और विरेंद्र झा द्वारा भू-माफिया जितेन्द्र अग्रवाल,रविन्द्र अग्रवाल व हरमीत सिंह खनुजा उर्फ राजू सरदार एवं अन्य के साथ मिली भगत कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा अपने अंशदान से स्वदेशी खादी बुनकरों मजदूरों जदूरों की ग्राम सेवा समिति के लिए वर्ष 1961 में ग्राम पंडरी तराई में खरीदी गई बेशकीमती भूमि के परिवर्तित संधारण खसरा शीट नंबर 28 के प्लाट नंबर 1 एवं 2 के मध्य में कूटरचना की गई। कूटरचना कर प्लाट नंबर 1/2 एवं 1/3 निर्मित कर रकबा 1 लाख 79 हजार 4 सौ 67 वर्गफीट भूमि दर्ज कर 60 वर्ष पुरानी बिक्रीशुदा भूमि की रजिस्ट्री एवं कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर अफरा-तफरी की गई है।

 

 

दोषी अधिकारी/कर्मचारी को बर्खास्त कर अपराधिक प्रकरण दर्ज करवाने तथा समिति के राजस्व अभिलेख में कूटरचना कर छेड़छाड़ किए गए अभिलेख को पूर्ववत किए जाने निवेदन पत्र दिया गया।

जांच प्रतिवेदन
संभाग आयुक्त महादेव कांवरे ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यी कमेटी गठित की। इसमें रायपुर संभाग की उपायुक्त ज्योति सिंह को जांच समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वहीं अपर कलेक्टर निधि साहू और SDM नंद कुमार चौबे भी जांच समिति के सदस्य थे। प्रतिवेदन में साफ लिख गया की मनीष देव साहू और वीरेद्र झा ने जो आदेश और अभिलेख दुस्तती किया है वह गैर कानूनी और अवैध तरीके से किया गया है। प्रतिवेदन में लिख गया की –
जांच समिति द्वारा जांच उपरान्त प्रतिवेदन दिनांक 02/5/2025 को पेश किया गया है। जांच प्रतिवेदन अनुसार तत्कालीन तहसीलदार मनीष देव साहू रायपुर एवं वीरेन्द्र कुमार झा हल्का परकरी ग्राम पंडरी तराई द्वारा किया गया आदेश एवं अभिलेख दुरुस्ती किया गया है विधि अनुरूप नहीं है। संबंधितों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्य काही किये जाने हेतु आरोप पत्र जारी किया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार SCN का प्रारूप त्प्रस्तुत करे।

दोनों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस और निलंब आदेश और अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु नस्ती।
20.05.25 को संभाग आयुक्त कार्यलय से दोनों को दोषी मानते हुए निर्देश दिया गया। नस्ती में स्पष्ट लिख गया की,
तत्कालीन तहसीलदार रायपुर मनीष देव साहू एवं ग्राम पंडरी तराई के पटवारी वीरेन्द्र कुमार झा के द्वारा किया गया उपरोक्त कृत्य विधि अनुरूप नहीं होने के साथ छ.ग. सिविल) सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विरूध्द कृत्य किया गया है।
प्रतिवेदन अनुसार साहू के उक्त कृत्य के लिए निर्देशानुसार कारण बताओं नोटिस जारी किया जा रहा है।
इसी प्रकार वीरेन्द्र कुमार झा हल्का पटवारी ग्राम- पंडरीतराई के विरुध्द आरोप-पत्रादि जारी कर नियमानुसार निलंबित करने हेतु कलेक्टर रायपुर को ज्ञापन प्रेषित किया जा रहा है।

जांच प्रतिवेदन में बार बार कूटरचना कर षड़यंत्र करने और झालसाजी करने का जिक्र-
जांच रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण पाइंट


बिन्दु 14
समिति के सदस्य लिखते हैं।
इस भाग के परिवर्तित संधारण खसरा क्रमांक 1 पर रवींद्र अग्रवाल व जितेन्द्र अग्रवाल द्वारा तत्कालीन तहसीलदार मनीष देव साहू से अवैध नामांतरण आदेश दिनांक 15.02.2023 का अनुचित लाभ लेकर पटवारी विरेन्द्र झा द्वारा कुटरचना कर आवेदक समिति के प्लाट नंबर 1 एवं 2 के बीच 1/2 रकबा 179467 वर्गफीट अवैध रूप से जोड़ कर पारित कराया है। यह आदेश इस आधार पर भी अवैध है क्योकि शीट क्रमांक 28 के समस्त 6 भाग का स्वामी आवेदक समिति है और उसने अपने इस प्रत्यावर्तित भूमि को कभी भी किसी को अन्तरित या विक्रय नहीं किया है।

बिन्दु 17

अनावेदकों द्वारा प्रस्तुत कुटरचित व अपंजीकृत हक त्याग विलेख का उपयोग नामांतरण प्रकरण में पंजीकृत एवं असल बताकर तहसीलदार व पटवारी से सांठगांठ कर समिति के अभिलेख में अपना नाम कुटरचना कर दर्ज कराने के गंभीर आरोष के खंडन में पंजीकृत मूल हक त्याग पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे स्पष्ट प्रमाणित होता है कि अनावेदक आलोच्य भूमि पर आवेदक समिति का स्वामित्व सही मानते है। आवेदक समिति शिकायत के तथ्यों व प्रस्तुत दस्तावेजों से यह प्रमाणित करने में सफल रही है कि अनावेदकों ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर समिति के स्वामित्व की भूमि के राजस्व अभिलेखों में कुटरचना एवं छेड़छाड़ कर अवैधानिक रूप से अपना नाम चढ़वाकर समिति की भूमि पर कब्जा करने का प्रयास किया है।

 

जांच के निष्कर्ष के कुछ बिंदु
यह भी उल्लेखनीय है कि तहसीलदार रायपुर द्वारा फौती नामांतरण के आदेश तथा जांच समिति को प्रस्तुत अपने जवाब में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 11.11.2022 के परिपालन में प्रश्नाधीन नामांतरण किये जाने का उल्लेख है जबकि, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश में नामांतरण किये जाने का कोई निर्देश नहीं है।

निष्कर्ष :-

प्राप्त शिकायत के संबंध में संयुक्त जांच समिति द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज एवं अनावेदकों द्वारा प्रस्तुत जवाबों का अवलोकन एवं सूक्ष्म परिशीलन किया गया। संलग्न बैनामा अनुसार अनावेदक रविन्द्र अग्रवाल के पिता बृज भूषण लाल अग्रवाल के द्वारा ग्राम—पंडरीतराई प.ह.नं. 109 स्थित भूमि कुल खसरा 45 जुमला रकबा 8.00 एकड़ भूमि विक्रेता लखनलाल वल्द रामदुलारे एवं अन्य तीन से पंजीकृत विक्रय पत्र दिनांक 20/01/1965 द्वारा कय किया गया है। पंजीकृत बैनामा की छायाप्रति के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि कुल खसरा 45 में से खसरा नं. 299/1″क” का कितना भाग रकबा कय किया गया है, बैनामा में स्पष्ट उल्लेख नहीं है, फिर भी तत्कालीन तहसीलदार रायपुर द्वारा फौती नामांतरण प्रकरण में अपने आदेश में विधिविरूद्ध यह मान लिया है कि खसरा नं. 299/1 क का आधा हिस्सा कुल 4.12 एकड़ का विश्वय बृजभूषण अग्रवाल पिता रामस्वरूप अग्रवाल ने विकय विलेख से कय किया है जबकि राजस्व अभिलेख में वाद भूमि कभी भी न तो विक्रेता के नाम पर दर्ज रही, न ही केता के नाम पर दर्ज रही है न ही विचाराधीन विक्रय विलेख में वाद भूमि के रकबे का उल्लेख है।

भूमि के संबंध में पूर्व में नामांतरण पंजी दाखिला क्रमांक 18 दर्ज प्रविष्टि 20/12/2007 में प्रमाणीकरण आदेश दिनांक 31/01/2008 को कलेक्टर रायपुर कमांक 05/ब-121/ वर्ष 2008-09 में पारित आदेश दिनांक 29/11/2 10/05/2010 के अनुसार निरस्त किया गया है। संहिता की धारा-109 के अ व्यक्ति विधिक स्वत्व धारण करता है, वही व्यक्ति अपने स्वत्व का अंतरण कर जबकि प्रश्नाधीन भूमि कभी भी विक्रेता के नाम पर दर्ज नहीं रही है। ऐसे तत्कालीन तहसीलदार रायपुर मनीष देव साहू द्वारा फौती नामांतरण प्रकरण उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश से परे जाकर मनमाना फौती नामांतरण आ किया गया है जो कि त्रुटिपूर्ण एवं विधि विरूद्ध है।

तत्कालीन तहसीलदार रायपुर मनीष देव साहू द्वारा अपने आ 15.02.2023 में विक्रेता अभिलिखित भूमि स्वामी का नाम विलोपित कर अनावेदक अग्रवाल वगैरह के नाम पर खसरा नंबर 299/1 क का रकबा 4.12 एकड़ द आदेश पारित किया गया था किन्तु राजस्व अभिलेख में विक्रेता लखन लाल वगै दर्ज नहीं होने से हल्का पटवारी ग्राम पंडरीतराई श्री विरेन्द्र कुमार झा ने विधि नि से आवेदक, ग्राम सेवा समिति के राजस्व अभिलेख परिवर्तित संधारण खसरा के श के प्लाट नंबर 1 एवं 2 के बीच अवैध रूप से प्लाट नंबर 1/2 निर्मित कर अना अग्रवाल सहित उसके परिवार के कुल 12 सदस्यों के नाम पर, 1,79,467 वर्गफीट अधिकारिता से परे जाकर दर्ज कर दिया गया है, जो कि अपने पद का दुरोपयोग है। (परिशिष्ट-33)

 

तः प्रकरण में आये सभी तथ्यों से यह स्पष्ट है कि तत्कालीन तहसीलदर मनीष देव साहू एवं ग्राम पंडरी के पटवारी वीरेन्द्र कुमार झा के द्वारा किया कृत्य विधि अनुरूप नहीं है।

– नंद कुमार चौबे सदस्य जांच समिति एवं अनुविभागीय अधिकारी (रा.) रायपुर (छ०ग०)
– निधि साहू सदस्य जांच समिति एवं अपर कलेक्टर रायपुर (छ०ग०)
– ज्योति अध्यक्ष जांच स उपायुक्त रायपुर संभाग, छ.ग