जेल से बाहर आया 570 करोड़ के घोटाले का आरोपी, गमझे से चेहरा छिपाया, रिहा होते ही दिखा ऐसा टशन

CG Coal Scam Case रायपुर: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले में निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया समेत 6 लोग जेल से रिहा हो गए। पहले यह रिहाई शुक्रवार को होनी थी लेकिन समय पर जमानत के कागजात नहीं पहुंचने पर रिहाई शनिवार को होगी। जेल के रिहाई के समय निलंबित आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई की एक फोटो सामने आई है। इस फोटो में वह मीडियाकर्मियों से बचते नजर आ रहे हैं।

लोअर में दिखे समीर विश्नोई

जेल से रिहाई के समय समीर विश्वोई लोअर और टी शर्ट में दिखाई दिए। समीर विश्नाई के गले में सफेद कलर का एक गमछा था। उस गमछे से वह अपना चेहरा छिपाते नजर आए। मीडियाकर्मी को देखते ही समीर विश्नोई ने कहा कि प्राइवेट स्थान पर ऐसे फोटो और वीडियो नहीं लेने चाहिए। इसके साथ ही उनके साथ जेल से रिहा अन्य साथी भी मौजूद थे।

किसकी किसकी हुई रिहाई

CG Coal Scam Case कोयला लेवी घोटाले में निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया समेत रजनीकांत तिवारी, वीरेन्द्र जायसवाल और संदीप नायक को आज सुबह जेल से रिहा कर दिया गया है। सौम्या चौरसिया दिसंबर 2022 में गिरफ्तार हुई थी। वहीं रानू साहू को जुलाई 2023 में गिरफ्तार किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट से मिली थी जमानत

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डबल बेंच ने इस जमानत याचिका पर सुनवाई की थी। जस्टिस सूर्यकांत ने सभी आरोपियों को गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगाई है। सभी छत्तीसगढ़ से बाहर रवाना होंगे। उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा। साथ ही नया पता थाने में देना होगा।

570 करोड़ से ज्यादा का है कोल स्कैम

CG Coal Scam Case ईडी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला किया गया है। इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ईडी का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई है। छत्तीसगढ़ में हुए कोल स्कैम का मास्टरमाइंड कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को माना जा रहा है। सूर्यकांत तिवारी अभी जेल में है।

CG Coal Scam Case कैसे किया गया घोटाला

दावा है कि, कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था। इसके बाद इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया।