Allahabad High Court इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेम संबंधों और शारीरिक संबंधों से जुड़े एक अहम मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि यदि महिला शुरू से यह जानती है कि सामाजिक कारणों के चलते शादी संभव नहीं है, फिर भी वह वर्षों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाए रखती है, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.
Allahabad High Court
यह मामला दो लेखपालों से जुड़ा है. महिला लेखपाल ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2019 में उसके सहकर्मी ने जन्मदिन की पार्टी के बहाने उसे घर बुलाया, जहां उसे नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म किया गया. पीड़िता का कहना था कि आरोपी ने वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया और बाद में शादी का वादा किया, लेकिन चार साल बाद उसने जातिगत ताना मारते हुए शादी से इंकार कर दिया.
Allahabad High Court महिला ने आरोप लगाया कि जब उसने पुलिस से शिकायत की, तो उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद उसने एससी-एसटी की विशेष अदालत में परिवाद दाखिल किया. हालांकि, विशेष अदालत ने यह कहते हुए परिवाद खारिज कर दिया कि इसमें दुष्कर्म का मामला नहीं बनता. इसके खिलाफ महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और न्याय की गुहार लगाई.
अदालत में आरोपी लेखपाल की ओर से यह दलील दी गई कि पीड़िता ने स्वयं थाना और एसपी को लिखित में कहा था कि वह किसी कार्रवाई की इच्छुक नहीं है. साथ ही यह भी कहा गया कि जब आरोपी ने पीड़िता को दिए 2 लाख रुपये वापस मांगे, तभी उसने परिवाद दाखिल किया.
सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जाएगा
Allahabad High Court जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की सिंगल बेंच ने सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद पीड़िता की अर्जी खारिज कर दी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यदि कोई महिला यह जानते हुए भी कि विवाह सामाजिक कारणों से संभव नहीं है, फिर भी वर्षों तक सहमति से संबंध बनाती है, तो बाद में इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता.