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सुसाइड की धमकी पति के लिए मानसिक क्रूरता, CG हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, पत्नी की एक दलील नहीं सुनी

Chhattisgarh High Court रायपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि पत्नी द्वारा बार-बार आत्महत्या की धमकी देना पति के लिए मानसिक क्रूरता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना और पति पर धर्म बदलने के लिए लगातार दबाव डालना भी मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। यह फैसला गुरुवार को जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिविजन बेंच ने सुनाया।

तलाक की अर्जी से जुड़ा मामला

यह मामला बलोद जिले के एक निवासी की तलाक की अर्जी से जुड़ा है, जिसे फैमिली कोर्ट ने जून 2024 में मंजूर कर दिया था। पत्नी ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। बेंच ने साफ किया कि क्रूरता सिर्फ शारीरिक नहीं होती, बल्कि ऐसी हरकतें भी क्रूरता हैं जिनसे पति के मन में डर पैदा हो। कोर्ट ने बताया कि पति ने 14 अक्टूबर 2019 को गुरु पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि उसकी पत्नी ने कई बार जहर खाने, चाकू से खुद को मारने और केरोसिन डालकर आग लगाने की धमकी दी थी। पति का कहना था कि वह लगातार डर में जी रहा था। दोनों की शादी मई 2018 में हुई थी।

मानसिक उत्पीडन का शिकार पति

Chhattisgarh High Court क्रॉस-एग्जामिनेशन के दौरान पति ने माना कि उसने पत्नी को उसके मायके इसलिए छोड़ा था क्योंकि उसे डर था कि वह खुद को नुकसान पहुंचा सकती है। कोर्ट ने कहा, ‘पत्नी के बार-बार आत्महत्या के प्रयास और धमकियों ने पति के लिए लगातार मानसिक उत्पीड़न की स्थिति पैदा की।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे व्यवहार ‘क्रूरता की कानूनी कसौटी पर खरे उतरते हैं।’

पति पर इस्लाम अपनाने का दबाव

Chhattisgarh High Court हाई कोर्ट ने एक सामुदायिक प्रतिनिधि की गवाही का भी जिक्र किया। प्रतिनिधि ने बताया कि पत्नी और उसके परिवार ने पति पर इस्लाम अपनाने का दबाव डाला था। हालांकि, पत्नी ने इस आरोप से इनकार किया। कोर्ट ने पाया कि दोनों नवंबर 2019 से अलग रह रहे हैं। पति और गांव के बड़े-बुजुर्गों के कई प्रयासों के बावजूद पत्नी वापस नहीं लौटी।

Chhattisgarh High Court बिना वजह पति को छोड़ा

पत्नी का कहना था कि वह हमेशा साथ रहना चाहती थी और पति ने तलाक तभी मांगा जब उसने धारा 125 CrPC और डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत केस दायर किए। लेकिन कोर्ट ने माना कि सबूतों से पता चलता है कि पत्नी ने बिना किसी ठोस वजह के पति को छोड़ दिया था। हाई कोर्ट ने यह भी दर्ज किया कि फैमिली कोर्ट के पिछले आदेश के अनुसार, पत्नी को खुद के लिए और अपने नाबालिग बेटे के लिए हर महीने 2,000 रुपये का गुजारा भत्ता मिल रहा है।