Bilaspur High Court बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेप के मामले में 10 से सजा काट रहे एक सीएएफ के जवान को बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी की एकलपीठ ने कहा कि, यह मामला प्रेम संबंध का था, न कि झूठे विवाह वादे पर आधारित रेप का। अदालत ने माना कि पीड़िता बालिग थी और लंबे समय तक अपनी मर्जी से जवान के साथ रही। दोनों के बीच शारीरिक संबंध आपसी सहमति से बने थे। इसलिए इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता।

Bilaspur High Court हाईकोर्ट ने जगदलपुर के फास्ट ट्रैक कोर्ट बस्तर के 21 फरवरी 2022 को दिए गए फैसले को भी रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला जबरन यौन शौषण का नहीं है। पीड़िता मर्जी से जवान के पास गई थी और दोनों के बीच प्रेम था। दुष्कर्म जैसा कोई मामला नहीं है।
जानिए क्या है मामला
बस्तर जिले के रहने वाले एक जवान के खिलाफ पीड़िता ने 2020 में थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। रेप पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा कि उसकी शादी तय हो गई थी। लेकिन युवक शादी के एख दिन पहले उसके घर आया और शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। उसने आरोप लगाया कि जवान ने उसे दो महीने तक अपने घर में रखा और फिर बाद में अपने घर से निकाल दिया और शादी से इंकार कर दिया।




