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Chhattisgarh की अनोखी परंपरा, घर के बाहर सजती हैं धान की झालर, जानिए इसके पीछे की मान्यताएं

Diwali 2025: भारतवर्ष के हर प्रांत की तरह, छत्तीसगढ़ में भी दीपावली का पर्व बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है. लेकिन यहां की दीपावली को एक खास परंपरा और भी अनूठी बना देती है, धान की बालियों को घर के द्वारों पर लटकाना.यह न केवल एक सजावट है, बल्कि सौभाग्य, समृद्धि और शुभ आगमन का प्रतीक भी मानी जाती है.
Diwali 2025:  दीपावली के पावन अवसर पर, छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल में घर-घर के बाहर, विशेषकर मुख्य द्वार पर, नई फसल की धान की बालियों को सजाया जाता है. इन बालियों को अक्सर धागों में पिरोकर या विभिन्न कलात्मक रूपों में तैयार कर लटकाया जाता है. बाजारों में भी इन सजी हुई धान की बालियों की रौनक देखने को मिलती है, जहां ग्रामीण कारीगर इन्हें बनाकर बेचने के लिए लाते हैं.

जानिए इसके पीछे की परंपरा

Diwali 2025:  इस अनूठी परंपरा के पीछे गहरी मान्यताएं छिपी हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि धान की बालियां घर के आसपास चिड़ियों को आकर्षित करती हैं. चिड़ियों का आगमन शुभता का संकेत माना जाता है. यह माना जाता है कि जहां चिड़ियां चहचहाती हैं, वहां सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. इसके साथ ही, यह परंपरा माता लक्ष्मी के आगमन का भी संकेत मानी जाती है. दीपावली, धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी का पूजन का दिन है. यह मान्यता है कि घर के बाहर सजी हुई धान की बालियां, देवी लक्ष्मी को अपने आगमन की सूचना देती है और उन्हें घर में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करती हैं. धान, जो कि छत्तीसगढ़ की मुख्य फसल है, स्वयं समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक है. नई धान की बालियों को सजाकर, लोग आने वाले वर्ष में अच्छी फसल और खुशहाली की कामना करते हैं.

Diwali 2025: 

यह माना जाता है कि इस परंपरा का पालन करने से परिवार पूरे साल सुख-समृद्धि और खुशहाली से रहता है. यह केवल एक अंधविश्वास नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान, मेहनत से उपजती अन्न की कद्र और एक ऐसी भावना का प्रतीक है जो हमें अपने जड़ों से जोड़े रखती है.