मर्डर और डबल मर्डर जैसे जघन्य अपराध के आरोपी कोरोना के बहाने मांग रहे आजादी, 10 महीने से पहले ही काट रहे हैं मौज। अब नए स्ट्रेन का दे रहे बहाना
- कोरोना के बहाने 10 महीने से मौज काट रहे बंदी
- 1 जनवरी को खत्म हो रही आरोपी की पैरोल
- जेल जाने के डर से बंदियों में मचा हड़कंप
- 2 महीने की पैरोल बढ़ाने की कर रहे मांग
- वकीलों और परिजनों के साथ प्रेस क्लब पहुंचे बंदी
रायपुर। एक तरफ कोरोना और वायरस के नए स्ट्रेन से दुनिया भर में दहशत का माहौल है तो दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण को आरोपी में मौज काटने का बहाना बना लिया है।
असल में देश के अन्य प्रदेशों की तरह संक्रमण के डर के कारण जेल में अलग अलग अपराधों की सजा काट रहे आरोपियों को मार्च से पैरोल पर घर भेज दिया गया है। पैरोल का लाभ उठाने वाले बंदियों में डबल मर्डर ,मर्डर जैसे जघन्य अपराधों अंजाम वाले भी बंदी शामिल हैं जो मार्च की शुरुवात से यानी लगभग दस महीने से जेल के बाहर हैं और मौज काट रहे हैं।
दो दिन बाद एक जनवरी को इनकी पैरोल खत्म होने वाली है जिसके बाद इन्हें दोबारा जेल भेज दिया जाएगा। जिसके डर से बुधवार को राजधानी में जघन्य अपराधों की सजा काट रहे आरोपी वकीलों और परिजनों को लेकर प्रेस क्लब पहुंचे।
दोबारा जेल जाने की बात से इन अपराधियों में हड़कंप मच गया है जिसके बाद ये कोरोना के नए स्ट्रेन को बाहाना बनाकर पैरोल को 2 महीने बढ़ाये जाने की मांग कर रहे हैं।
बुधवार को बड़ी संख्या में पैरोल में बाहर घूम रहे बंदी और उनके परिजन रायपुर प्रेस क्लब के बाहर जमा हुए और पत्रकारों के सामबे अपनी मांग रखी।
पैरोल बढ़ाने के लिए बंदी मध्य प्रदेश में एक्सटेंड की गई पैरोल अवधि का हवाला देकर खुद के लिए भी 2 माह की छूट मांग रहे हैं।
शासन पर दबाव का प्रायस- बंदियों के परिजन बार बार शासन पर दबाव डालने का प्रयास कर रहे हैं।
बंदी और परिजनों कहना है कि अभी तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आयी है। जेल के सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा इसलिए बंदियों को को कोरोना संक्रमण होने का डर है। बंदी जेल जाने के नाम पर इतना घबराए हुए हैं वो शासन पर दबाव डाल रहे हैं अगर जेल में बंदियों को संक्रमण हुआ तो सरकार इसकी जिम्मेदार होगी और अगर पैरोल नहीं बढ़ाई गई तो वो आंदोलन पर बैठ जाएंगे।
वहीं अपराधियों की बात सुनकर लोगों का कहना है अपराधों को अंजाम देने वाले 10 महीने की छुट्टी के बाद जेल जाने से घबरा गए हैं और कोरोना को अपनी आजादी के बहाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
वहीं शासन की ओर से अभी तक बंदियों की पैरोल को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं जारी किया गया हैं।
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