धर्म की आड़ में शहर के अपराधी और माफिया। भूमाफिया और सूदखोर छवि चमकाने में लगे
- कथावाचकों को अंधेरे में रखकर कर रहे आयोजन
- कथा आरती के सहारे पाप धोने का कर रहे प्रयास
- धर्म के सहारे चढ़ना चाहते हैं राजनीति की सीढ़ियां
- भूमाफियाओं और सूदखोरों का बढ़ रहा बोलबाला
बीते कुछ साल से शहर में ऐसे ऐसे बड़े कथावाचक और कलाकार पहुंचे रहे हैं जिनकी फैन फालोईंग करोड़ो में हैं। इनमें से कोई भगवान शंकर की कथा सुनाता है, कोई बंजरग बली जी की महिमा गाता है। कोई भक्तों को श्रीमदभागवत का वाचन सुनाते हैं। तो भक्तिगीतों के लिए फेमस है। सिर्फ इतना ही नहीं शहर के नदी तालाबों में बड़े बड़े धार्मिक आयोजन भी कराए जा रहे हैं। कोई जन्माष्टमी पूजन करवा रहा है।
सबके बीच कुछ में कामन फैक्टर है…..आम आदमी को दिखाई दे न दे लोकल पब्लिक सब जानती है। इन आयोजनों में से कुछ में भूमाफियागिरी करने वाले, तो कुछ सूदखोरी कर जेल की हवा खाने वाले दंबगई से वसूली जैसे काम करने वाले मुख्य आयोजकों की भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन कथावचकों और गायकों को इनके बैकग्राउंड की जानकारी नहीं है। वे बस भक्ति भाव में आ जाते हैं।
सबसे बड़े आयोजन कराने वाला खुद भूमाफिया
सबसे बड़े बड़े कथावाचकों को बुला सबसे बड़ा आयोजन कराने वाला शहर के साथ साथ आसापस के सबसे बड़े भूमाफियाओं की सूची में शामिल है। लगभग दशक भर में इसने शहर में इस कदर अवैध प्लांटिग कर अपना धंधा जमा लिया है की इसकी पैसों की पहुंची सिस्टम के अंदर तक घुस गई है। इसी पैसों के दम से लगातार राष्ट्रीय पार्टी से विधानसभा टिकट पाने का प्रयास करता रहा है लेकिन कहीं न कहीं इसके कुकर्मों की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है।
ये फर्जी भक्त प्लाटिंग करते करते यह छोटे कमजोर परिवारों की जमीन निगल जाता है। आसपास घेराबंदी कर फिर उनकी ही जमीन उनसे कौड़ियो के दाम पर छोड़ने कहता है। कहता है पटवारी, आरआई, तहसीलदार तो इसके जेब में है। शहर में इसने ताजा ताजा एक धार्मिक आयोजन कराया हुआ है। भगवान राम के नाम पर फिर अवैध प्लांटिग और कब्जे का खेल कर है।
कमजोर परिवारों के साथ साथ श्मशान के रास्ते तक को ग्रास बना रहा है। विधायकों,मंत्रियों की बिना अनुमति पोस्टर बैनर छपवा रहा है। अवैध धंधे के पैसों की चमक से शहर के कई दलाल इसकी टीम में शामिल हो गए हैं। पर ये भूल रहे हैं ऊपर वाला पैसा नहीं कर्मों के हिसाब से फल देता है।
विधायकों,मंत्रियों की बिना अनुमति पोस्टर बैनर छपवा रहा है। अवैध धंधे के पैसों की चमक से शहर के कई दलाल इसकी टीम में शामिल हो गए हैं। पर ये भूल रहे हैं ऊपर वाला पैसा नहीं कर्मों के हिसाब से फल देता है।
धर्म की आड़ में छवि सुधारने वाला सूदखोर
ये अपने आप को एक राष्ट्रीय सामाजिक संघ का पदाधिकारी बताता है। कुछ महीनों में नदी तालाबों में होने वाले धार्मिक आयोजनों में बड़ा आयोजक बना है। अभी अभी एक बड़ा आयोजन करवाया है। जबकि इसका मूल धंधा सूदखोरी का है। ये खुद, इसकी पत्नी, भाई सूदखोरी के मामले जेल काट चुके हैं। सेटिंग के दम पर कार्रवाई से बचा हुआ था पर समय का पहिया घूमा। पुलिस ने जब इसे पकड़ा तो कई सूटकेस भरकर महिलाओं के मंगलसूत्र, कान की बालियां, जमीन मकान गिरवी के पेपर। ब्लैंक चेक मिले। इन्हे देखकर पुलिस के होश उड़ गए। क्योंकि पीड़ितों की संख्या सैकड़ों में थी। जब धंधा धंधा बंद हुआ तो करोड़ों रुपयों से को मकान बना रहा था उसका काम भी बंद हो गया। जमानत में छूटी बीवी वसूली का प्रयास करती रही। सूदखोरी का ये आरोपी अब बड़े बड़े आयोजन कर अपनी छवि सुधारने में लगा है ।पर ये भूल रहा है ये पब्लिक है सब जानती है।
सिर्फ सांकेतिक रूप से इस्तेमाल की कई हैं, सोशल मीडिया से प्राप्त