छत्तीसगढ़ः गांव की सार्वंजनिक नहीं ईसाई क़ब्रिस्तान में दफनाया जाएगा ईसाई पादरी का शव… SC का फैसला

Supreme Court  ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के एक ईसाई व्यक्ति की याचिका पर विभाजित फैसला सुनाया. याचिका में युवक ने अपने पादरी पिता के शव को या तो उनके पैतृक गांव चिंदवाड़ा के कब्रिस्तान में या उसकी निजी कृषि भूमि में दफनाने की मांग की थी.

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छत्तीसगढ़ के एक गांव में ईसाई को दफनाने से रोकने के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. ग्राम पंचायत की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर अधिवक्ता कौस्तुभ शुक्ला ने पैरवी की थी. दो सदस्यीय पीठ में दोनों जजों की विभाजित राय रही है. जस्टिस बीवी नागरत्ना के फैसले से जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की राय अगल है. जस्टिस नागरत्ना ने अपीलकर्ता को अपने पिता को अपनी निजी संपत्ति में दफनाने की अनुमति दी, जबकि जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि दफन केवल ईसाइयों के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में ही किया जा सकता है, जो कि करकापाल गांव में है. ये जगह अपीलकर्ता के मूल स्थान से लगभग 20-25 किलोमीटर दूर है.

सीनियर अधिवक्ता कौस्तुभ शुक्ला
सीनियर अधिवक्ता कौस्तुभ शुक्ला

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जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अपने फैसले में क्या कहा?

Supreme Court जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा कि भाईचारा बढ़ाना सभी नागरिकों का दायित्व है. अजीबोगरीब तथ्यों को ध्यान में रखा जाए क्योंकि युवक के पिता का शव 7 जनवरी से पड़ा हुआ है. अपीलकर्ता अपनी निजी कृषि भूमि में शव को दफन करेगा और अन्य कोई इस तरह के निर्देश का कोई लाभ नहीं उठाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य सररार को सुरक्षा देनी होगी, ताकि शव को दफन उसकी निजी कृषि भूमि में किया जा सके. राज्य सरकार पूरे राज्य में ईसाइयों के लिए कब्रिस्तान चिन्हित करेगा. यह आज से 2 महीने के भीतर किया जाएगा.

Supreme Court

दरअसल, इस मामले की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा ने सुनवाई की है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना बेहतर होगा. इसलिए शव को करकापाल गांव में ईसाइयों के लिए निर्दिष्ट स्थान पर दफनाया जाए. उससे पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह देखकर दुख हुआ कि एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ के एक गांव में अपने पिता को ईसाई रीति-रिवाज के अनुसार दफनाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख करना पड़ा क्योंकि अधिकारी इस मुद्दे को हल करने में विफल रहे.

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ठुकरा दी मांग

Supreme Court ने पूछा था कि किसी विशेष गांव में रहने वाले व्यक्ति को उस गांव में क्यों नहीं दफनाया जाना चाहिए? शव 7 जनवरी से मुर्दाघर में पड़ा हुआ है. इस मामले में रमेश बघेल की ओर से याचिका दायर की गई थी. याचिका में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई थी. हाई कोर्ट ने रमेश के पादरी पिता को दफनाने के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में दफनाने की मांग ठुकरा दी थी.

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