‘गांव छोड़ दो नहीं तो जान से मार देंगे…’ माओवादियों की धमकी के बाद मजबूरन 40 लोगों ने घर छोड़ा

Naxalite Threat In Bastar रायपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादियों ने लगभग 40 ग्रामीणों को उनके घरों से बेदखल कर दिया है। यह घटना बीजापुर-दंतेवाड़ा सीमा पर स्थित तोड़मा और कोहकावाड़ा गांव की है। माओवादियों ने इन ग्रामीणों पर पुलिस को जानकारी देने का आरोप लगाया, जिसके कारण अक्टूबर 2024 में थुलथुली मुठभेड़ में 38 माओवादी मारे गए थे। गांव वालों को जान से मारने की धमकी दी गई थी। इस घटना में आठ परिवार प्रभावित हुए हैं, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं। ये परिवार अब पास के गांवों किलेपाल और वाहनपुर में शरण लिए हुए हैं।

बौखला गए हैं माओवादी

यह घटना सुरक्षा बलों के दबाव में बौखलाए माओवादियों की बर्बरता को दर्शाती है। थुलथुली मुठभेड़, जो बस्तर में अब तक की सबसे बड़ी मुठभेड़ थी, के छह महीने बाद माओवादियों ने यह कदम उठाया है। माओवादियों ने इन ग्रामीणों पर अपने शिविर की जानकारी पुलिस को देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इसी जानकारी के कारण पुलिस ने थुलथुली में कार्रवाई की, जिसमें उनके 38 साथी मारे गए।

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Naxalite Threat In Bastar तीन दिन पहले, लगभग 50 माओवादी ‘पूर्वी बस्तर डिवीजन’ से तोड़मा और कोहकावाड़ा पहुंचे। उन्होंने सभी ग्रामीणों को इकट्ठा होने का आदेश दिया। ग्रामीणों को बताया गया कि यह एक ‘जन अदालत’ है। ‘जन अदालत’ माओवादियों द्वारा चलाए जाने वाले कंगारू कोर्ट होते हैं, जहां वे बिना किसी सबूत के लोगों को सजा देते हैं और अक्सर मौत के घाट उतार देते हैं।

गांव छोड़ दें नहीं तो मार देंगे

इस ‘जन अदालत’ में, माओवादियों ने ग्रामीणों को धमकाते हुए कहा कि उनमें से कई लोग सुरक्षा बलों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने थुलथुली पुलिस ऑपरेशन में 38 माओवादियों की मौत के लिए ग्रामीणों को जिम्मेदार ठहराया। माओवादियों ने चेतावनी दी कि या तो वे गांव छोड़ दें, या फिर उन्हें जान से मार दिया जाएगा।

गांव छोड़ दिया

Naxalite Threat In Bastar माओवादियों की धमकी के आगे बेबस, आठ परिवारों ने अपने बच्चों और थोड़े-बहुत सामान के साथ गांव छोड़ दिया। ये परिवार अब इंद्रावती नदी पार करके, बस्तर जिले के किलेपाल और वाहनपुर में शरण लिए हुए हैं, जो उनके गांवों से लगभग 30-60 किमी दूर हैं।

मजदूरी कर गुजारा करते

बेघर हुए परिवारों ने माओवादियों के आरोपों का खंडन किया है। उनमें से एक ने कहा कि हम तो सिर्फ अपने खेतों में काम करके गुजारा करते हैं। अब हमारे पास न घर रहा, न जाने कहां जाएं। दूसरे गांवों में रहने वाले हमारे रिश्तेदार ही हमारी आखिरी उम्मीद हैं। यह बयान उनकी लाचारी और बेबसी को दर्शाता है।  बस्तर रेंज के आईजी पी सुंदरराज ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि चूंकि अधिकांश ग्रामीणों की पैतृक संपत्तियां और रिश्तेदार दंतेवाड़ा जिले के गीदम के वाहनपुर गांव और बस्तर जिले के कोडेनार के किलेपाल गांव में हैं, इसलिए वे कुछ समय के लिए उन गांवों में बसना चाहते हैं।

Naxalite Threat In Bastar पुनर्वास की व्यवस्था करेंगे

उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी उनके आरामदायक और सुरक्षित पुनर्वास के लिए आवश्यक सहायता सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि हाल के झटकों से बौखलाए माओवादी नेतृत्व पूरी तरह से निराश है और अपने अस्तित्व को लेकर अनिश्चित है। डर और भ्रम के कारण वे निर्दोष ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं। लेकिन इस तरह के पागलपन से उनका अंत उम्मीद से जल्दी होगा।

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