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शराब घोटाला- सरकार को ऐसे लगाया सैकड़ो करोड़ का चूना, ढेबर सिंडिकेट के अतुल मुकेश रिमांड पर

Chhattisgarh Liquor Scam :  ईओडब्ल्यू (EOW) ने एफएल-10ए की जांच में चौंकाने वाला खुलासा किया है। पिछली सरकार में कारोबारी अनवर ढेबर, आईटीएस अरुणपति त्रिपाठी, रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा ने सिंडीकेट तैयार किया। यही सिंडीकेट अफसरों की पोस्टिंग करता था। इसी ने कमीशनखोरी के लिए आबकारी नीति ही बदली। गोपनीय नीति कैबिनेट में रखने से पहले ही त्रिपाठी ने इसे अनवर को भेज दिया था।

विदेशी शराब कंपनियों से कमीशनखोरी के लिए एफएल-10ए का नया लाइसेंस लाया गया। क्योंकि पहले विदेशी शराब कंपनियां छत्तीसगढ़ ब्रेवरेज कार्पोरेशन को सीधे शराब बेचती थी। इससे सिंडिकेट को पैसा नहीं मिल रहा था। विदेशी कंपनियों ने सिंडिकेट को कैश कमीशन देने से मना कर दिया। तब नई व्यवस्था लागू की गई। अनवर ढेबर और उसके करीबी विकास अग्रवाल उर्फ सिब्बू ने अपने दो करीबी अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा की कंपनी ओम साईं ब्रेवरेज को एफएल-10 ए का लाइसेंस दिलाया। तीन साल तक इसी को लाइसेंस मिलता रहा। कंपनी ने अनवर ढेबर के सिंडीकेट को 41 करोड़ कमीशन दिया। इसी तरह नेक्सजेन पावर इंजीटेक और दिशिता वेंचर्स प्रा. लि. को भी लाइसेंस दिया गया। तीनों बिचौलिए बनकर विदेशी कंपनी से शराब खरीदती और 10 प्रतिशत कमीशन जोड़कर सरकार को बेचती थीं। तीन साल में इन्होंने 1846 करोड़ की शराब सरकार को बेची। सरकार को सिर्फ 1335 करोड़ ही दिए। चार्जशीट में 248 करोड़ के घोटाले की पुष्टि हुई है। अतुल व मुकेश को 6 सितंबर तक ईओडब्ल्यू ने रिमांड पर लिया है।

Chhattisgarh Liquor Scam :  10 परसेंट कमीशन जोड़कर सरकार को दोबारा बेचते थे वही शराब

पिछली सरकार में सक्रिय शराब सिंडिकेट अनवर ढेबर, आईटीएस अरुणपति त्रिपाठी ने मिलकर कमीशनखोरी के लिए आबकारी नीति ही बदल दी। कमीशनखोरी के लिए एफएल-10ए का नया लाइसेंस लाया गया। क्योंकि पहले विदेशी शराब कंपनियां छत्तीसगढ़ ब्रेवरेज कार्पोरेशन को सीधे शराब बेचती थी। इससे सिंडिकेट को पैसा नहीं मिल रहा था। विदेशी कंपनियों ने सिंडिकेट को कैश कमीशन देने से मना कर दिया। तब विदेशी कंपनियों से शराब खरीदने के लिए नई व्यवस्था लागू की गई। तीन कंपनी ओम सांई ब्रेवरेज, नेक्सजेन पावर इंजीटेक और दिशिता वेंचर्स प्रा. लि. को लाइसेंस दिया गया। तीनों कंपनियां बिचौलिए का काम करने लगी। ये कंपनियां विदेशी कंपनी से शराब खरीदते और अपना 10 प्रतिशत कमीशन जोड़कर सरकार को दोबारा यही शराब सप्लाई करते थे। तीन साल में इन कंपनियों को 1846 करोड़ रुपए का शराब सरकार को बेचा। लेकिन सरकार को सिर्फ 1335 करोड़ रुपए ही दिए। इसमें 511 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया।

इन कंपनियों को भी मोटा मुनाफा

Chhattisgarh Liquor Scam :  सीए संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह की कंपनी नेक्सजेन पावर इंजीटेक ने तीन साल में 435 करोड़ रुपए का शराब की सप्लाई की। सरकार को लाइसेंस के तौर पर सिर्फ 328 करोड़ रुपए का पेमेंट किया। सौरभ आशीष केडिया की कंपनी दिशिता वेंचर्स ने 627 करोड़ की शराब सरकार को सप्लाई की और इसका पूरा पेमेंट लिया। लेकिन लाइसेंस के तौर पर सरकार को 451 करोड़ रुपए जमा किए।

ओम सांई ने बेचा 784 करोड़ का शराब

ईओडब्ल्यू के अनुसार ओम सांई कंपनी अप्रत्यक्ष रूप से विजय भाटिया की है। इसमें अतुल सिंह व मुकेश के अलावा विजय का साला सागर अरोरा और भुनेश्वर राव भी डायरेक्टर थे। इसमें अतुल और मुकेश का 24- 24 प्रतिशत शेयर था। भुनेश्वर और सागर का 26-26 प्रतिशत शेयर था। अरोरा को हर माह 5 लाख रुपए वेतन मिलता था।

एफएल-10बी में भी करोड़ों का घोटाला 

Chhattisgarh Liquor Scam :  एफएल-10ए के अलावा एफएल-10बी में भी करोड़ों का घोटाला हुआ है। एफएल-10बी का लाइसेंस एजेस ब्रेवरेज, भाटिया वाइन मर्चेंट्स, छग डिस्टलरीस, कॉन्टिनेंटल डिस्टलरी, क्राउन डिस्टलरी, गोल्डन प्रिंस वाइन, लीजेंड डिस्टलरीस, एनवी डिस्टलरीस, रायपुरा बॉटलिंग, स्कॉटमैन एल्को वेब फीलर्स, सोना ब्रेवरेज और वेलकम डिस्टलरीं को दिया गया था।