Chhattisgarh DMF Scam Case प्रदेश के बहुचर्चित डीएमएफ घोटाले में मंगलवार को ईओडब्ल्यू की विशेष कोर्ट में छह हजार पन्नों की चार्जशीट पेश की गई। इसमें 75 करोड़ के घोटाले की बात कही गई है। कारोबारियों से साठगांठ कर सरकारी टेंडरों में अफसरों को 40 फीसद कमीशन के रूप में दिया गया है। इस मामले में निलंबित आइएएस रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया, आदिवासी विकास विभाग की अधिकारी माया वारियर, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी समेत नौ आरोपित वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए न्यायालय में पेश हुए।
Chhattisgarh DMF Scam Case बता दें कि ईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि आइएएस अफसर रानू साहू के साथ अन्य अफसरों ने कमीशन के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया। गिरफ्तार आरोपितों में कोरबा डीएमएफ के तत्कालीन नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर, तत्कालीन जनपद सीइओ भुनेश्वर सिंह राज, राधेश्याम मिर्झा और वीरेंद्र कुमार राठौर शामिल हैं। सभी नौ आरोपित न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद हैं।
डीएमएफ घोटाला एक नजर में
- ईडी की रिपोर्ट पर ईओडब्ल्यू ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया
- डीएमएफ कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में गड़बड़ी की गई
- टेंडर की राशि का 40 प्रतिशत अफसरों को कमीशन के रूप में बांटा
- 2021-22 और 2022-23 में कारोबारी मनोज द्विवेदी ने रानू साहू से मिलीभगत की
- मनोज द्विवेदी ने अपने एनजीओ उद्गम सेवा समिति के माध्यम से डीएमएफ के ठेके हासिल किए
- डीएमएफ से मिलने वाली राशि ठेकेदार ने सीधे बैंक से कैश निकाली
अब तक यह-यह हुआ
- 11 दिसंबर 2024 को 23.79 करोड़ की संपत्ति कुर्क हुई
- निलंबित आइएएस रानू साहू, माया वरियर की संपत्ति कुर्क हुई
- 21.47 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति मिली थी
- ईडी ने 2.32 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी और आभूषण जब्त किया
- ईडी ने पहले छत्तीसगढ़ के कई शहरों में छापेमारी की
- पूर्व मंत्री अनिला भेडिया के प्रतिनिधि पीयूष सोनी, और कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल के घर भी कार्रवाई हुई
सौम्या, रानू ने बनाया सिंडिकेट
2021-2022 में 361.72 करोड़ और 2022-2023 में 247.41 करोड़ रुपए कोरबा को डीएमएफ में मिले थे। जिसे खर्च किया गया। डीएमएफ के पैसे में हेरफेर के लिए सूर्यकांत, सौम्या और रानू ने सिंडिकेट बनाया। तीनों ने मिलकर माया वॉरियर की पोस्टिंग कराई। संयुक्त कलेक्टर भरोसा राम ठाकुर को नोडल अधिकारी बनाया। उसके बाद खुद की पसंद के ठेकेदारों, व एनजीओ को बुलाकर काम दिया गया।
Chhattisgarh DMF Scam Case
Chhattisgarh DMF Scam Case ईओडब्ल्यू की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि डीएमएफ 1. के तहत काम लेने के लिए ठेकेदारों को पहले 40 प्रतिशत व कमीशन देना होता था। पैसा मिलने के बाद ही वर्कऑर्डर वा कमीशन फिक्स था। कमीशन का पैसा नीचे से ऊपर तक जाता था। सबसे ऊपर सीएम की उपसचिव सौम्या को पैसा पहुंचाया जाता। जांच के दौरान मिली डायरी में इसका उल्लेख है। गवाहों के बयान में भी यह बात सामने आई है।
इन विभागों में बजट देकर किया गया घोटाला
- – आदिवासी विकास विभाग कोरबा को 29.86 करोड़ रु.।
- – खेल एंव युवा कल्याण विभाग को 27.62 करोड़ रु.।
- – समग्र शिक्षा विभाग कोरबा को 72.26 करोड़ रुपए।
- – महिला एंव बाल विकास विभाग 119. 39 करोड़ रु.।
- – जनपद पंचायत पोड़ी-उपरोड़ा को 110.14 करोड़ रु.।
- – जनपद पंचायत पाली को 146.13 करोड़ रुपए।
- – जनपद पंचायत करतला को 16.8 करोड़ रुपए।
- – जनपद पंचायत कोरबा को 15.24 करोड़ रुपए।
- – ठेकेदार संजय शेडे को 114.24 करोड़।