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हाईकोर्ट ने पति को ‘पालतू चूहा’ कहने और माता-पिता से अलग रहने की जिद को माना मानसिक क्रूरता, तलाक बरकरार

Bilaspur High Court बिलासपुर, 23 सितंबर 2025: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक तलाक के मामले में पति को ‘पालतू चूहा’ कहने और माता-पिता से अलग रहने की जिद करने को मानसिक क्रूरता माना है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद शामिल हैं, ने कहा कि भारतीय संयुक्त परिवार व्यवस्था में पति को माता-पिता से अलग करने की जिद करना गंभीर मानसिक क्रूरता है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले को बरकरार रखते हुए पति को पत्नी को 5 लाख रुपए स्थायी गुजारा भत्ता और बेटे के लिए मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।

Bilaspur High Court मामला रायपुर निवासी एक दंपती से संबंधित है, जिनकी शादी 28 जून 2009 को हुई थी। 5 जून 2010 को उनका एक बेटा हुआ। पति ने पत्नी पर क्रूरता और परित्याग के आरोप लगाते हुए फैमिली कोर्ट रायपुर में तलाक की याचिका दायर की थी। फैमिली कोर्ट ने 23 अगस्त 2019 को दोनों का तलाक मंजूर कर दिया, जिसके खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की थी।

Bilaspur High Court पति ने कोर्ट में तर्क दिया कि पत्नी ने उसके माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार किया और उनसे अलग रहने की जिद की। माता-पिता के साथ रहने से इनकार करने पर पत्नी आक्रामक हो जाती थी और शारीरिक नुकसान भी पहुंचाती थी। पति ने बताया कि पत्नी उसे अपमानजनक रूप से ‘पालतू चूहा’ कहती थी और खुद गर्भपात का प्रयास भी किया। इसके अलावा, 24 अगस्त 2010 को तीजा के दौरान पत्नी अपने मायके चली गई और फिर कभी ससुराल नहीं लौटी।

Bilaspur High Court

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पत्नी द्वारा भेजे गए एक टेक्स्ट मैसेज को भी सबूत माना, जिसमें पत्नी ने लिखा था, “अगर तुम अपने माता-पिता को छोड़कर मेरे साथ रहना चाहते हो तो जवाब दो, वरना मत पूछो।” पति के प्रति परीक्षण में पत्नी ने इस मैसेज को भेजने और अगस्त 2010 के बाद ससुराल न लौटने की बात स्वीकार की।कोर्ट ने दोनों पक्षों की आय पर विचार करते हुए पाया कि पत्नी लाइब्रेरियन के पद पर कार्यरत हैं, जबकि पति छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक में अकाउंटेंट हैं। वर्तमान में पत्नी अपने बेटे के साथ रहती हैं, जिसके पालन-पोषण के लिए उन्हें 6,000 रुपए और बेटे को 1,000 रुपए मासिक गुजारा भत्ता मिल रहा है। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने पति को अपनी पूर्व पत्नी को एकमुश्त 5 लाख रुपए स्थायी गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया है।