रायपुर नगर निगम में चर्चित जीजा-साले का भ्रष्टाचार कनेक्शन! 10 साल से मलाईदार पोस्ट पर जमे बाबू ने साले को दिलाई 5 गुना सैलरी वाली पोस्ट

corruption in Nagar Nigam Raipur: रायपुर : छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नगर पालिक निगम, राजधानी रायपुर में एक बड़े बाबु का बड़ा खेल सामने आया हैं। यहां श्री श्याम सोनी का 10 साल में तीन प्रमोशन होने के बाद भी एक बार भी ट्रांसफर नहीं हुआ है। चर्चा है की बड़े बाबू हर बार जुगाड़ लगाकर अपना ट्रांसफर रोक लेते हैं। सिर्फ यहीं नहीं अपने अधिकारी का उपयोग करके इन्होने अपने साले, जो की किसी समय निगम में कलेक्टर दर 10 हजार 20 रुपए का वेतन पा रहा था उसे नोटशीट चला कर 55 हजार रुपए के पद पर बिठा दिया । राजधानी जैसी जगह पर जहां दस साल में तीन महापौर और कई आयुक्त बदल गए वहां सब के नाक के नीचे दोनों जीजे साले मजे से मलाई काट रहे हैं.

बता दें की श्याम सोनी सहायक वर्ग 02 के पद नियुक्त होकर पिछले दस सालों से वित्त विभाग, मुख्यालय में प्रभारी लेखापाल का कार्य कर रहे हैं । कोयल घोटाले में जेल काट चुकी. सौम्या चौरसिया, तात्कालिन अपर आयुक्त ने इनकों वित्त विभाग में पदस्थापना दी थी । वर्ष 2019 में सहायक वर्ग 01 के पद पदोन्नति पाने के बाद भी इसका स्थानांतरण नही होता हैं और ये लगातार प्रभारी लेखापाल का ही कार्य करते हैं।

corruption in Nagar Nigam Raipur:

इसके बाद भी वर्ष 2024 में एक और पदोन्नति पाने के बाद अधीक्षक (लिपिकीय) बनने के बाद भी इनका स्थानांतरण या नवीन पदस्थापना नही होता हैं और ये प्रभारी लेखापाल का कार्य करते रहते हैं। जबकि शासन के नियमानुसार लेखापाल के लिए शासकीय लेखा प्रशिक्षण करना अनिवार्य होता है लेकिन इन्होने यह प्रशिक्षण भी नही किया हैं।

नगर निगम रायपुर में अन्य नियमित लेखापाल होने के बावजुद जो लेखा प्रशिक्षित हैं निगम प्रशासन ने इसी को लगभग 10 वर्षो से प्रभारी लेखापाल बनाये रखा।

अधिकारियों का क्यों मिल रहा संरक्षण..

इस बात का अंदाजा लगाना सरल है की आखिर लगातार 10 वर्ष से भी ज्यादा एक विभाग में और एक ही कार्य के लिए इनके उपर वित्त विभाग तथा सामान्य प्रशासन विभाग के उच्च अधिकारियों का विशेष संरक्षण किसलिए प्राप्त हैं। ठेकेदारों का चेक काटने से लेकर भगुतान होने के बीच वित्त विभाग की कितनी बड़ी भूमिका होती है यह है सब जानते हैं। चौंकाने वाली बात है की इन 10 सालों में कई कर्मचारीयों और अधिकारीयों का वित्त विभाग में ट्रांसफर हुआ लेकिन सभी का कुछ समय में तथा नियमानुसार ट्रांसफर होता रही बस इनका छोड़कर। नगर निगम रायपुर में समय समय पर स्थानांतरण तथा पदोन्नति के बाद नवीन पदस्थापना एक सामान्य प्रकिया है। लेकिन एक ही विभाग में इतने समय से एक ही कार्य करना बहोत सारे सवाल खड़े करता हैं।

खुद नोटशीट चलाई, अपनी जगह साले को दिलाई, अब मिल रहा 5 गुना वेतन 

वर्ष 2024 में अधीक्षक (लिपिकीय) बनने के बाद श्याम सोनी कों वित्त विभाग में अधीक्षकीय कार्य के साथ साथ आयुक्त कार्यालय में भी पदस्थापना दी गयी थी। लेकिन इन्होने वित्त विभाग में प्रभारी लेखापाल का ही कार्य किया तथा आयुक्त कार्यालय में अपनी जगह अपने साले धीरज सोनी को 55,000/- के वेतन में नियुक्त करवा दिया तथा स्वयं वहां से कार्यमुक्त हो गयें। जबकि धीरज सोनी बतौर प्लेसमेंट कर्मचारी नियुक्त हुई थी। उन्हे सिर्फ 10 हजार रुपए वेतन मिल रहा था। साले साहब को अब जीजा की कृपा से 55 हजार रुपए वेतन मिल रहा है जिसे लेकर बाकि कर्मचारियों में खासा आक्रोश है। कर्मचारी प्रर्थाना करते हैं की काश उनके जीजा भी श्याम सोनी जैसे होते।

संपत्ति जांच की मांग

नगर निगम के कुछ नाराज कर्मचारियों ने आरोप लगाया है की वित्त विभाग के कर्मचारी ने भाठागांव में बेहद मंहगी जमीन वाली कालोनी में 2 हजार वर्ग जमीन पर आलीशान बंगला बनाया है। दस साल की सेवा में यह होना संभव नहीं है। कर्मचारियों ने अधिकारियों और ईओडब्लू में शिकायत कर आय से अधिक संपत्ति की जांच करने की मांग की है।

corruption in Nagar Nigam Raipur: आम चर्चा का विषय है की किसी भी बड़े निगम के में प्रतिमाह 50 से 100 करोड़ का ठेकेदारों का भुगतान किया जाता हैं। आए दिन आरोप लगते हैं की वित्त विभाग के इन पदों पर भुगतान में इनका 1-2 प्रतिशत कमीशन फिक्स रहता हैं जिसके दम उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होता है।