होली दहन के बाद धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं लोग, ये है छत्‍तीसगढ़ की 800 साल पुरानी परंपरा

walking on fire : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में होली के अवसर पर आदिवासी समाज की एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है. यहां लोग दहकते हुए अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें कोई नुकसान नहीं होता.

800 साल पुरानी है परंपरा

walking on fire :पेंदलनार गांव में यह परंपरा हर साल निभाई जाती है. जिसमें विश्वास के साथ लोग अंगारों पर चलते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, सुकमा के आदिवासी क्षेत्र में यह परंपरा करीब 800 वर्षों से चली आ रही है. होलिका दहन के बाद ग्रामीण अंगारों पर चलते हैं और अगले दिन उसी राख से होली खेलते हैं. इस बार भी बड़ी संख्या में लोग इस परंपरा को देखने और निभाने के लिए पेंदलनार गांव में इकट्ठा हुए.

इच्छाओं की पूर्ति की कामना

स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां लोग अपनी इच्छाएं पूरी करने की कामना लेकर आते हैं. जब उनकी मुराद पूरी हो जाती है, तो वे वापस आकर नंगे पैर दहकते अंगारों पर चलते हैं. आस्थावान लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनके पैरों को कोई नुकसान नहीं होता. यह परंपरा सुख-शांति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वर्षों से चली आ रही है.

पेंदलनार गांव तक सीमित है परंपार

walking on fire :यह अनोखी परंपरा पेंदलनार गांव तक ही सीमित है, जिसे देखने के लिए आसपास के गांवों के लोग भी आते हैं. स्थानीय निवासी इस बारे में बताते हैं कि यह परंपरा लगभग 800 साल पुरानी है. लोग अपनी मनोकानाओं की पूर्ति के लिए इस अद्भुत परंपरा का पालन करते हैं.

walking on fire :होलिका दहन

होलिका दहन के बाद ग्रामीण नंगे पैर अंगारों पर चलते हैं. यह आदिवासी परंपरा गांव में सुख-समृद्धि और शांति लाने का प्रतीक मानी जाती है. लोगों का विश्वास है कि इससे उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह परंपरा उनके पूर्वजों से उन्हें विरासत में मिली है.

Exit mobile version