छत्तीसगढ़ में है एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च, देश-विदेश से आते हैं लोग
Rojari Maharani Church Jashpur: छत्तीसगढ़ के कुनकुरी में स्थित रोजरी महारानी महागिरजाघर एशिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक है. इसकी विशाल संरचना और खूबसूरत वास्तुकला इसे एक अनोखा धार्मिक स्थल बनाती है. इसे बनने में करीब 17 साल लगे थे. कुनकुरी चर्च की नींव 1962 में रखी गई थी. क्रिसमस के दौरान यहां विशेष प्रार्थना और समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिसके लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं. इस चर्च की खासियत यह है कि इसकी नींव को खास तरीके से इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह विशाल इमारत एक ही बीम के सहारे खड़ी हो सके.
रोजरी की महारानी महागिरजाघर
Rojari Maharani Church Jashpur: बता दें कि जशपुर जिले के कुनकुरी में स्थित रोजरी महारानी महागिरजाघर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है. इस चर्च की स्थापना 1962 में हुई थी और इसे बनने में करीब 17 साल लगे थे. चर्च का निर्माण बिशप स्तानिसलाश और बेल्जियम के प्रसिद्ध वास्तुकार कार्डिनल जेएम कार्सी एसजे की मदद से किया गया था. यह चर्च ईसाई समुदाय के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है और क्रिसमस के दौरान यहां विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं. चर्च की वास्तुकला में सात छतों और सात दरवाजों का खास महत्व है, जिन्हें जीवन के सात संस्कारों का प्रतीक माना जाता है.
Rojari Maharani Church Jashpur: देश-विदेश से आते हैं लोग
Rojari Maharani Church Jashpur: जशपुर जिले के कुनकुरी में स्थित ‘रोजरी की महारानी महागिरजाघर’ में देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं. यह चर्च देश-विदेश के श्रद्धालुओं और ईसाइयों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है. इस विशाल इमारत के निर्माण की नींव खास तौर पर एक ही बीम की मदद से तैयार की गई थी. गिरजाघर में सात की संख्या का खास महत्व है. यहां सात छतें और सात दरवाजे हैं. इसे जीवन के सात संस्कारों का प्रतीक माना जाता है. क्रिसमस के मौके पर यहां प्रभु ईसा मसीह को याद किया जाता है और उनका जन्मदिन मनाया जाता है.