Chhattisgarh News : सरगुजा:दिसंबर के महीने में जिस तरह से पारा नीचे जा रहा है, उससे ऐसा लग रहा है कि इस बार सर्दी अपने सारे पुराने रिकार्ड तोड़ देगी. लगातार पारे के नीचे जाने से लोगों का जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूल और ड्यूटी जाने वालों को हो रही है. सड़क किनारे दुकान लगाने और मेहनत मजदूरी कर खाने वालों की मुसीबत और बढ़ गई है. एक तरह जहां सर्दी कुछ लोगों के लिए मुसीबत बन गई है तो वहीं कुछ लोगों के लिए मौज का भी वक्त है. छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट में सैलानियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सैलानी जहां खाने पीने का आनंद ले रहे हैं वहीं मैनपाट की सुंदरता को भी कैमरे में कैद कर रहे हैं. ठंड का सामना सैलानी भी कर रहे हैं लेकिन उसके साथ हिल स्टेशन का आनंद भी उठा रहे हैं.
सैलानियों की मौज, गरीबों की बढ़ी परेशानी
Chhattisgarh News : एक तरफ जहां मैनपाट में पर्यटक मौसम का आनंद उठा रहे हैं वहीं स्थानीय लोग बढ़ती सर्दी से परेशान हैं. सुबह और शाम के वक्त लोग अलाव का सहारा लेकर खुद को सर्दी से बचा रहे हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूल जाने वाले बच्चों को हो रही है. सड़क किनारे दुकान लगाने और रोज कमाकर खाने वालों की मुसीबत और बढ़ गई है. उत्तर पश्चिम से आने वाली सर्द हवाओं की वजह से सरगुजा शीतलहर की चपेट में है. सर्द हवाओं की वजह से पूरे दिन यहां ठिठुरन बनी रहती है.
Chhattisgarh News : खेतों में ओस की बूंदें बनी सफेद चादर
लगातार बढ़ रही सर्दी के चलते मैनपाट में पर्यटकों का आना लगातार जारी है. मैनपाट में गिरने वाली ओस की बूंदे सुबह खेतों में बर्फ की चादर की तरह दिखाई देती हैं. मैनपाट में जितने भी रिसार्ट हैं फिलहाल सभी पर्यटकों से गुलजार हैं. यहां आने वाले पर्यटकों को छत्तीसगढ़ संस्कृति की थीम पर बने रिसार्ट खूब भार रहे हैं. बड़ी संख्या में पर्यटक यहां हो स्टे का भी आनंद ले रहे हैं.
बढ़ती सर्दी को लेकर मौसम वैज्ञानिक की राय
बढ़ती सर्दी और ठिठुरन को लेकर मौसम विज्ञानी ए एम भट्ट ने कहा, “पिछले 7 से 8 दिनों से उत्तरी पश्चिमोत्तरी शुष्क हवाओं के लगातार चलने से अम्बिकापुर का न्यूनतम तापमान लगातार 5℃ के आसपास बना हुआ था. जो इन दिनों के दैनिक सामान्य न्यूनतम तापमान से लगातार 4.5℃ या इससे अधिक के निगेटिव विचलन पर रह रहा है. ड्राय एयर फ्लो के कारण इन दिनों अम्बिकापुर सहित पूरे संभाग में शीत लहर की स्थिति बनी थी. पठारी क्षेत्रों में ये शुष्क हवाएं शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक मुश्किलें पैदा करती हैं. खुले और पहाड़ी इलाकों में सुबह के वक्त ओस की बूंदे ठोस हो जाती हैं.”




