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छत्तीसगढ़: बीजापुर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, 1 करोड़ से ज्यादा के इनामी 41 माओवादियों का सरेंडर

41 Naxalites Surrendered : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शासन की पुनर्वास नीतियों का असर दिखने लगा है. बुधवार को बीजापुर जिले में 41 माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण कर हिंसा का रास्ता त्याग दिया. इनमें 12 महिलाएं और 29 पुरुष शामिल हैं, जिन पर कुल 1 करोड़ 19 लाख रुपये का इनाम घोषित था. आत्मसमर्पण करने वालों में पीएलजीए बटालियन-01 के सदस्य, एरिया कमेटी पार्टी सदस्य, मिलिशिया कमांडर और साउथ सब जोनल ब्यूरो के 39 माओवादी प्रमुख हैं.

कौन लिख रहा अभय के नाम पर चिट्ठी?

41 Naxalites Surrendered वहीं, दूसरी ओर माओवादी संगठन में एक और महत्वपूर्ण मोड़ आया है. ‘अभय’ नाम से पत्र जारी करने वाले वेणुगोपाल उर्फ सोनू ने पहले ही आत्मसमर्पण कर दिया था. उसके बाद भी ‘अभय’ नाम से पत्र जारी हो रहे हैं, जिससे सुरक्षा बलों में हड़कंप मच गया है. बस्तर के आईजी ने सभी सुरक्षा दलों को अलर्ट जारी किया है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पुलिस से दूसरे ‘अभय’ की जानकारी ली जा रही है. आईजी ने चेतावनी दी, “अभय के नाम से पत्र जारी करने वाले को तत्काल आत्मसमर्पण कर देना चाहिए, वरना अंजाम बुरा होगा. अभय का नाम अब खत्म हो चुका है.”

नारायणपुर में 28 ने किया था समर्पण

41 Naxalites Surrendered बता दें नारायणपुर जिले में भी सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली थी. सोमवार को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के 28 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. ये सभी अबूझमाड़ के घने जंगलों में सक्रिय थे. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से सर्च ऑपरेशन और गश्त बढ़ाई गई थी, जिसके दबाव में नक्सली सुरक्षित ठिकानों से बाहर निकलने को मजबूर हो गए. ‘पूना मारगेम’ नीति ने उन्हें मुख्यधारा अपनाने के लिए प्रेरित किया. आत्मसमर्पण करने वालों को सरकारी योजनाओं के तहत पुनर्वास सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, जिसमें रोजगार प्रशिक्षण, आवास और आर्थिक सहायता शामिल है.

41 Naxalites Surrendered

ये आत्मसमर्पण नक्सलवाद के खिलाफ अभियान को नई गति दे रहे हैं. नक्सल मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार दबाव और पुनर्वास नीतियां मिलकर नक्सली संगठनों को कमजोर कर रही हैं. सरकार ने घोषणा की है कि आत्मसमर्पित कैडरों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिया जाएगा. बस्तर क्षेत्र में शांति की यह प्रक्रिया तेज हो रही है, जो विकास के द्वार खोल रही है.