Chhattisgarh News : रायपुर : दो माह बीतने के बाद भी रायपुर नगर निगम द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए थे। कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी, वैक्सीनेशन और डीवर्मिंग कराई जाए और उन्हें उनके मूल स्थान पर छोड़ा जाए। साथ ही, खाना खिलाने के लिए नगर निगम को विशेष स्थान तय करने का आदेश दिया गया था, ताकि सार्वजनिक जगहों पर झगड़े और असुविधा न हो। मगर रायपुर नगर निगम इन आदेशों पर अमल करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। दो महीने से अधिक बीत चुके हैं, पर अब भी लोग सड़कों, गेटों और पार्किंग स्थलों पर कुत्तों को खाना खिला रहे हैं, जिससे आए दिन झगड़े और हादसे हो रहे हैं।
आदेशों का पालन नहीं, बढ़ रही अव्यवस्था
Chhattisgarh News : सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित है, और नगर निगम ऐसी निर्धारित जगहें बनाए जहां उन्हें सुरक्षित रूप से भोजन दिया जा सके। लेकिन रायपुर में आज तक ऐसी कोई जगह चिन्हित नहीं की गई। शहर के विभिन्न इलाकों जैसे तेलीबांधा, अमलीडीह, कबीर नगर और शंकर नगर में लोग सड़कों पर ही कुत्तों को खिलाते हैं। इससे कुत्ते अक्सर झुंड में आकर लड़ाई करने लगते हैं और राहगीरों के लिए खतरा बन जाते हैं।
निगम के दावे और हकीकत
रायपुर नगर निगम का कहना है कि वह नियमित रूप से नसबंदी और वैक्सीनेशन अभियान चला रहा है। प्रतिदिन 18-20 कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि न तो कुत्तों की संख्या कम हुई है और न ही उनके आक्रामक व्यवहार में कमी आई है। आवारा कुत्ते अब भी बाजारों, कालोनियों और पार्कों में झुंड बनाकर घूमते हैं। कई कालोनियों में बच्चों और बुजुर्गों के काटे जाने की घटनाएं बढ़ी हैं। निगम के अभियान केवल कागजों तक सीमित दिखाई देते हैं।
विशेषज्ञों की राय
Chhattisgarh News : पशु कल्याण विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानव और पशु, दोनों की सुरक्षा के लिए संतुलन बनाता है। निर्धारित स्थानों पर भोजन देने से न केवल झगड़े रुकेंगे बल्कि कुत्तों का स्वास्थ्य और व्यवहार भी सुधरेगा। बिना योजना के खुले में खाना खिलाने से कुत्तों में झुंड मानसिकता बढ़ती है, जिससे वे आक्रामक हो जाते हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि निगम हर वार्ड में दो से तीन “डाग फीडिंग जोन” बनाए और स्थानीय नागरिक समितियों को इनके रखरखाव में जोड़े।
Chhattisgarh News : रायपुर के लिए क्या जरूरी है
जब तक नगर निगम निर्धारित फीडिंग जोन नहीं बनाता और नसबंदी-टीकाकरण अभियान को तेज नहीं करता, तब तक यह समस्या बनी रहेगी। लोगों, पशु प्रेमियों और प्रशासन के बीच समन्वय बनाना भी जरूरी है। साथ ही, नियमों के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सही पालन न केवल कुत्तों की सुरक्षा बल्कि शहरवासियों के जीवन की भी रक्षा करेगा। रायपुर को अब दिखावे की सफाई नहीं, बल्कि जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत है।




